Probiotics Ke Fayde । Health Benefits Of Probiotics In Hindi
अक्सर लोग पेट की समस्या जैसे कब्ज होना, गैस बनना, डकार आना, पेट फूलना आदि से परेशान रहते है। जिसके पीछे एक बड़ी वजह अपच (Indigestion)है। लेकिन क्या आपको पता है ऐसा क्यों होता है। इसका मुख्य कारण हमारी छोटी और बड़ी आंत (Intestine) में रहने वाले बैक्टीरिया में असुंतलन के कारण होता है।
इस तरह की समस्या ज्यादा जंक फ़ूड खाने, ज्यादा मीठा खाने और ज्यादा एंटीबायोटिक का उपयोग करने से होता है। हमारे आंत में रहने वाले (Good) अच्छे बैक्टीरिया (Probiotics) की कमी हो जाती है और (Bad) हानिकारक बैक्टीरिया में बढ़ोतरी हो जाती है जिससे आंत में रहने वाले बैक्टीरिया में असुंतलन हो जाता है। अगर हमें अपने पेट को ठीक रखना है तो इस (Good) अच्छे बैक्टीरिया (Probiotics) और (Bad) हानिकारक बैक्टीरिया का संतुलन बनाये रखना बहुत जरूरी हो जाता है।
प्रोबायोटिक क्या होता है। What Is Probiotic.
हमारे आंत में दो तरह के बैक्टीरिया होते है पहला (Good) अच्छे बैक्टीरिया (Probiotics) और दूसरा (Bad) हानिकारक बैक्टीरिय। (Probiotics) प्रोबायोटिक हमारी आंत में रहने वाला एक प्रकार का अच्छा बैक्टीरिया होता है। यह हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदे मंद होते है। ये बैक्टीरिया भोजन को पचाने में, कोलेस्ट्रॉल को कम करने, इम्मुनिटी को बूस्ट करने, वजन घटाने में, कैविटीज को रोकने में बहुत मदद करते है। प्रोबायोटिक (Probiotics) के विकास के लिए प्रीबायोटिक (Prebiotic) जो की एक तरह का (Fiber ) कार्बोहाइड्रेट होता है इसकी जरूरत होता है।
प्रीबायोटक्स क्या होता है। What Is Prebiotics.
प्रीबायोटिक (Prebiotics) जो की एक तरह का (Fiber ) कार्बोहाइड्रेट होता है। इसे हम पचा नहीं सकते है। यह मुख्य रूप से प्रोबायोटिक (Probiotics) का भोजन होता है। इस लिए हमारे आंत में प्रोबायोटिक (Probiotics) और प्रीबायोटिक (Prebiotics) दोनों का संयोजन होना जरूरी है।
प्रोबायोटिक के प्रकार । Types Of Probiotics.
प्रोबायोटिक उत्पादों में अक्सर उपयोग किए जाने वाले माइक्रोबियल जीवों के सात कोर जेनेरा (Types) हैं लैक्टोबैसिलस (Lactobacillus), बिफीडोबैक्टीरियम (Bifidobacterium), सैक्रोमाइसेस (Saccharomyces), स्ट्रेप्टोकोकस (Streptococcus), एंटरोकोकस (Enterococcus), एस्चेरिचिया (Escherichia) और बेसिलस (Bacillus)।
इनमे से बिफीडोबैक्टीरिया (Bifidobacteria) और लैक्टोबैसिलस (Lactobacillus) ही मुख्य रूप से खाद्य पदार्थों और फ़ूड सप्लीमेंट में उपयोग किया जाता है।
Probiotics Ke Fayde । प्रोबायोटिक् का सेवन करने के फायदे फायदे
1. डायरिया के लक्षण (Symptoms Of Diarrhea) कम करता है।
प्रोबायोटिक्स (Probiotics) डायरिया (दस्त) से बचाव और इसकी गंभीरता को कम करने में मदद करता है। यदि प्रीबायोटक्स पदार्थों का सेवन आप हमेशा करते हैं तो इससे हमारे शरीर में प्रोबायोटिक्स (Probiotics) यानि की गुड (Good ) बैक्टीरिया का संतुलन बना रहता है और डायरिया होने का खतरा कम हो जाता है।
2. वेट लॉस (Weight Loss) में सहायता करता है।
आज कल ज्यादातर लोग अपने बढे हुए वजन से परेशान है। अगर आप भी मोटापे से परेशान है तो प्रोबायोटिक्स (Probiotics) को फ़ूड सप्लीमेंट के रूप में ले सकते है। प्रोबायोटिक्स के कुछ स्ट्रेन वजन घटाने में मददगार साबित हो सकते है।
3. इम्यूनिटी बढ़ाता (Boost Immunity) है।
प्रोबायोटिक्स (Probiotics) रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने और संक्रमण से बचाने में मदद कर सकते हैं। अभी प्रोबायोटिक्स और प्रतिरक्षा के बीच संबंध के बारे में पता लगाने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है।
4. मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) से जुड़ी समस्याओं से आराम मिलता है।
कई अध्ययनों में पता चलता है कि अगर हमारे आंतों के स्वास्थ्य अच्छा है तो हमारा मूड व मानसिक स्वास्थ्य भी अच्छा होगा। साल 2015 में 20 लोगों के ऊपर एक छोटा सा अध्ययन किया गया था। जिसमें पाया गया कि जिस समूह को 4 सप्ताह के लिए प्रोबायोटिक युक्त खाद्य पदार्थ और प्रोबायोटिक (Probiotics) सप्लीमेंट दिए गए उस समूह में उदासी कम दर्ज की गई। इसी तरह से साल 2016 में भी एक अध्ययन किया गया जिसमें पाया गया कि प्रोबायोटिक्स (Probiotics) सप्लिमेंट्स के सेवन से अवसाद, चिंता और अन्य मानसिक स्वास्थ्य विकारों के लक्षण कम हो सकते हैं। इसका मतलब यह है कि जिन लोगों को प्रोबायोटिक खाद्य पदार्थ दिये गए वो काफी खुश पाए गए।
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5. हार्ट हेल्थ (Heart Health) बेहतर बनती है।
प्रोबायोटिक्स (Probiotics) के इस्तेमाल हमारे शरीर में एलडीएल (खराब) कोलेस्ट्रॉल और बीपी को कम करने में मदद करता है जिससे हृदय मजबूत होता है। कुछ लैक्टिक एसिड बनाने वाले बैक्टीरिया हमारी आंतों में पित्त को तोड़कर कोलेस्ट्रॉल को कम करते हैं। प्रोबायोटिक युक्त दही के इस्तेमाल करने से हमारे हृदय का स्वास्थ्य बेहतर बना रहता है।
6. डाइजेस्टिव हेल्थ (Digestive Health) से जुड़ी प्रॉब्लम्स कम होती है।
प्रोबायोटिक्स (Probiotics) के इस्तेमाल हमारे शरीर में एलडीएल (खराब) कोलेस्ट्रॉल और बीपी को कम करने में मदद करता है जिससे हृदय मजबूत होता है। कुछ लैक्टिक एसिड बनाने वाले बैक्टीरिया हमारी आंतों में पित्त को तोड़कर कोलेस्ट्रॉल को कम करते हैं। प्रोबायोटिक युक्त दही के इस्तेमाल करने से हमारे हृदय का स्वास्थ्य बेहतर बना रहता है।
6. डाइजेस्टिव हेल्थ (Digestive Health) से जुड़ी प्रॉब्लम्स कम होती है।
कई लोग पाचन से सम्बंधित समस्याओं के चलते परेशान रहते हैं। जैसे कि इंफ्लेमेटरी बाउल डिसीज, अल्सरेटिव कोलाइटिस और क्रोन रोग। इन रोगों का उपचार भी प्रोबायोटिक्स के सेवन से किया जा सकता है। बीफीडोबैक्टीरियम (Bifidobacterium) और लैक्टोबैक्सीलियस (Lactobacillious) जैसे कुछ प्रोबायोटिक्स से अल्सरेटिव कोइटिस में सुधार होता है। हालांकि प्रोबायोटिक का क्रोन रोग के लक्षणों पर प्रभाव कम पड़ता है। लेकिन इससे उन विकारों को कम किया जा सकता है।
कई लोग पाचन से सम्बंधित समस्याओं के चलते परेशान रहते हैं। जैसे कि इंफ्लेमेटरी बाउल डिसीज, अल्सरेटिव कोलाइटिस और क्रोन रोग। इन रोगों का उपचार भी प्रोबायोटिक्स के सेवन से किया जा सकता है। बीफीडोबैक्टीरियम (Bifidobacterium) और लैक्टोबैक्सीलियस (Lactobacillious) जैसे कुछ प्रोबायोटिक्स से अल्सरेटिव कोइटिस में सुधार होता है। हालांकि प्रोबायोटिक का क्रोन रोग के लक्षणों पर प्रभाव कम पड़ता है। लेकिन इससे उन विकारों को कम किया जा सकता है।
7. कैविटीज (Cavities ) को बढ़ने से रोकता है।
प्रोबायोटिक्स (Probiotics) आंतों के साथ ही हमारे मुंह में बैक्टीरिया को भी रोकने में मदद करता हैं। अगर आप अच्छे से ब्रश करते है और आपके मुँह से फिर भी बदबू आता है तो इसका मतलब है की आपके आंत में (Good) अच्छे बैक्टीरिया की कमी है आप प्रोबिओटिक को सप्लीमेंट के रूप में भी ले सकते है इससे आपके मुँह की बदबू कम हो सकती है। कुछ पुराने अध्ययनों से पता चलता है कि नियमित रूप से प्रोबायोटिक (Probiotics) युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करने से कैविटी को रोका जा सकता है।
प्रोबायोटिक्स का प्राकृतिक स्रोत। Natural Source Of Probiotics
1. दही (Curd)
दही जो की घर पर तैयार की गयी हो उसमे प्रोबायोटिक्स (Probiotics) भरपूर मात्रा में मिलता है, बाजार से खरीदी गयी दही में इसकी मात्रा कम या ना के बराबर होती है, वैसे आज कल बाजार में भी प्रोबायोटिक्स (Probiotics) युक्त दही उपलब्ध है। दूध से दही बनाने की प्रक्रिया में लैक्टोबैसिलस (Lactobacillus) अहम् भूमिका निभाते है, इस प्रकार दही या छाछ प्रोबायोटिक्स (Probiotics) का अच्छा स्रोत है।
2. अचार (Pickles)अचार सबसे अधिक फर्मेंडेट चीजों में से एक है। नाश्ते में छोटा सा अचार खाना पूरे दिन पेट को हेल्दी रखने में मदद कर सकता है। ये विटामिन के और विटामिन ए जैसे विटामिन से भरपूर होते हैं, जो कि शरीर के लिए अन्य तरीके से भी फायदेमंद है। पर ध्यान रहे कि ज्यादा अचार न खाएं क्योंकि इसमें बहुत अधिक सोडियम होता है, जो कि किडनी और लीवर को अधिक मेहनत करवा सकता है। इसके अलावा, ये हाई बीपी के मरीजों के लिए भी उतना फायदेमंद नहीं है। तो, अचार खाएं पर थोड़ा सा और हर दिन अचार खाने से भी बचें।
3. छाछ (Buttermilk)
छाछ प्रोटीन, विटामिन और कई खनिजों में समृद्ध है लेकिन कैलोरी और वसा में कम है। छाछ पीने से हम हाइड्रेटेड और ऊर्जावान रहते हैं। यह उन लोगों के लिए भी अच्छा है जो अपना वजन कम करना चाहते हैं। सुबह खाली पेट एक गिलास छाछ पीने से पेट की सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं। जिन लोगों को अपच, गैस और पाचन संबंधी अन्य समस्याएं हैं, उन्हें सुबह खाली पेट छाछ का सेवन करना चाहिए।
4.योगर्ट (Yogurt)
ये प्रोबायोटिक्स (Probiotics) का एक अहम स्रोत है। योगर्ट खाने से हड्डियों के स्वास्थ्य समेत कई स्वास्थ्य फायदे जुड़े हैं और ये हाई ब्लड प्रेशर को कम करते हैं। बच्चों में योगर्ट डायरिया को कम करने में मदद कर सकता है। उसके अलावा, इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम के लक्षणों से भी राहत मिल सकती है।
इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम एक आम बीमारी है और बड़ी आंत को प्रभावित करती है। समस्या से पीड़ित होने पर पेट में दर्द, मरोड़, सूजन, गैस, कब्ज और डायरिया होना मुख्य लक्षण हैं।
5. ढोकला (Dhokla)
ढोकला गुजरात में बनाई और परोसी जाने वाली एक प्रसिद्ध डिश है। लेकिन आज कल इसका इस्तेमाल पुरे हिंदुस्तान में किया जाने लगा है। ढोकला प्रोबायोटिक का एक अच्छा स्रोत होता है। ढोकला फर्मेंटेड बेसन और दही के घोल को मिलाकर तैयार किया जाता है। फर्मेंटेशन में बैक्टीरिया, यीस्ट या अन्य सूक्ष्मजीवों द्वारा किसी पदार्थ का रासायनिक विघटन होता है, इस प्रक्रिया में जीवों को बढ़ने और प्रजनन करने, अपनी रचना को बनाए रखने और उनके पर्यावरण के प्रति सजग रहने में मदद मिलता हैं। ये प्रक्रिया ही ढोकला या में प्रोबायोटिक के लिए जिम्मेदार होता है। दही प्रोबायोटिक बैक्टीरिया की एक अतिरिक्त परत जोड़ता है। यह तुरंत ऊर्जा प्रदान करने में मदद करता है और वजन घटाने में भी मदद करता है।
6. इडली (Idli)
इडली दक्षिण भारतीय व्यंजन है। इडली प्रोबायोटिक का अच्छा स्रोत हैं। इडली, डोसा और ऐसे ही अन्य खाद्य पदार्थ चावल और दाल को फर्मेंट करके तैयार किए जाते हैं। फर्मेंटेशन से गुजरने से, इसके खनिजों की जैव-उपलब्धता बढ़ जाती है। इसमें ना तो कोलेस्ट्रॉल पाया जाता है और ना ही सैचुरेटेड फैट इसलिए इसे खाना काफी लाभकारी होता है। इडली का सेवन ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में भी मदद करता है।
7. डार्क चॉकलेट (Dark Chocolate)
डार्क चॉकलेट में प्रीबायोटिक (Prebiotics) और प्रोबायोटिक्स (Probiotics) दोनों होते हैं। प्रीबायोटिक्स आपके पास पहले से मौजूद गट बैक्टीरिया का भोजन का काम करता हैं। प्रोबायोटिक्स आंत में नए बैक्टीरिया जोड़ते हैं।
Conclusion
अगर आपने ध्यान से इस लेख में दी गई जानकारी "Probiotics Ke Fayde - प्रोबायोटिक्स का सेवन करने के फायदे" को ध्यान से पढ़ा है, तो आपको ज्ञात हुआ होगा कि प्रोबायोटिक्स लेना हर किसी के लिए बहुत जरुरी है। तो, इन चीजों को अपने नाश्ते का हिस्सा बनाएं और अपने पेट व पाचन तंत्र को हेल्दी रखें। अगर आप इन सब चीजों को नियमित रूप से नहीं ले सकते है तो मार्किट में बाहत सारे प्रोबायोटिक्स सप्लीमेंट के रूप में आते है आप उन्हें ले सकते है, पर ध्यान रहे कोई बढ़िया ब्रांडेड सप्लीमेंट ही ले।
अगर अभी भी कोई जानकारी रह गई है या प्रोबायोटिक्स (Probiotics) से जुड़ा आपके मन में कोई सवाल है, तो आप नीचे Comment Box में Comment करके पूछ सकते है। कृपया मेरी इस Post को Social Media पर, जैसे Facebook, WhatsApp और Twitter पर share जरुर करे।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल-
1. प्रोबायोटिक्स लेने से क्या फायदा होता है?
खाना पचाने में मदद करता है। आपके (Intestine) आंत से (Bad) खराब बैक्टीरिया को ख़त्म करने में और (Good) अच्छे बैक्टीरिया के बढाने में मदद करता है, आपके रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाने में मदद करता है।
2. प्रोबायोटिक्स लेने का सबसे अच्छा समय कब है?
प्रोबायोटिक्स को खाली पेट लेना सबसे फायदेमंद होता हैं। आप नास्ते के रूप प्रोबायोटिक्स से युक्त भोजन ले सकते है या यदि आप सप्लीमेंट के रूप में ले रहे है तो भोजन से कम से कम 30-40 मिनट पहले लेना चाहिए।
3. प्रोबायोटिक्स किसे नहीं लेना चाहिए?
प्रोबायोटिक्स का उपयोग आमतौर पर सुरक्षित माना गया हैं, लेकिन गंभीर बीमारियों या जिनकी (Immune System) प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर है उनको प्रोबायोटिक्स का उपयोग नहीं करना चाहिए।
4. प्रोबायोटिक और प्रीबायोटिक में क्या अंतर है?
प्रोबायोटिक्स फायदेमंद बैक्टीरिया हैं जो आंत में रहते हैं और पाचन क्रिया को सुधारने में मदद करते हैं। प्रोबायोटिक्स के विपरीत प्रीबायोटिक्स (Prebiotics) ना पचने वाले कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं जो फाइबर से भरे होते हैं और ये आंतों में बैक्टीरिया के विकास को बढ़ावा देते हैं।
5. प्रोबायोटिक्स कब तक खाना चाहिए?
आपको कम से कम 4 सप्ताह तक तो प्रोबायोटिक्स लेना ही चाहिए। जिन लोगो की (Immune System) प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर है उन्हें प्रोबायोटिक्स लेने से थोड़ी समस्या हो सकती है। कुछ लोगो में शुरू में गैस बनने की भी समस्या हो सकती है जो की धीरे धीरे कम हो जाती है।
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